सीओपीडी का कोई पक्का इलाज नहीं : डॉ. गुरसेवक सिंह

 सीओपीडी का कोई पक्का इलाज नहीं : डॉ. गुरसेवक सिंह



सक्षम पंजाब/राहुल सोनी

अमृतसर:पार्क हॉस्पिटल डॉक्टरों की टीम, पल्मोनोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. हितेश गौड़, इंटरनल मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ. क्षितिज वशिष्ठ, डॉ. गुरसेवक सिंह, डॉ. अभिषेक कुमार शामिल ने मंगलवार को क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के बारे में फैक्ट्स और मिथ शेयर कीं। पार्क हॉस्पिटल्स नॉर्थ इंडिया का बड़ा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल नेटवर्क है, जिसमें 19 हॉस्पिटल, 3500 बेड, 800 ICU बेड, 14 कैथ लैब, 45 मॉड्यूलर OT और 1000 से ज्यादा डॉक्टर हैं। पल्मोनोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. हितेश गौड़ ने कहा, “सीओपीडी दुनिया भर में हार्ट की समस्याओं और कैंसर के बाद तीसरा सबसे बड़ा किलर है। बहुत से लोग सांस फूलने और खांसी को बढ़ती उम्र का नॉर्मल हिस्सा समझ लेते हैं। बीमारी के शुरुआती स्टेज में, किसी को इसके लक्षण पता नहीं चल पाते।”

इंटरनल मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ. क्षितिज वशिष्ठ ने कहा कि ,“सीओपीडी से एड्स, टीबी, मलेरिया और डायबिटीज से होने वाली मौतों से भी ज्यादा मौतें होती हैं। सीओपीडी ज्यादातर 40 साल या उससे ज़्यादा उम्र के लोगों में होता है, जिनकी स्मोकिंग की हिस्ट्री रही है। ये वे लोग हो सकते हैं जो अभी स्मोकिंग करते हैं या पहले करते थे। भारत में सीओपीडी का फैलाव लगभग 5.5 से 7.55% है। हाल की स्टडी से पता चलता है कि पुरुषों में सीओपीडी का फैलाव रेट 22% और महिलाओं में 19% तक है।” डॉ. वशिष्ठ ने बताया।

इंटरनल मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ. गुरसेवक सिंह के अनुसार, सीओपीडी का कोई पक्का इलाज नहीं है, लेकिन ज़्यादा नुकसान को रोकने और ज़िंदगी की क्वालिटी को बेहतर बनाने के लिए इलाज के ऑप्शन मौजूद हैं।

इंटरनल मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ. अभिषेक कुमार ने कहा कि भारत में सीओपीडी से होने वाली मौतों की दर दुनिया में सबसे ज्यादा है, जो हर 1 लाख आबादी पर 98 है, जो अमेरिका में हर 1 लाख आबादी पर 33 मौतों की दर से तीन गुना ज्यादा है।

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